अपने गुनाहों को कौन आदमी जानता है?
Apane gunaahon ko kaun aadamee jaanata hai? (Lyrics)
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अपने गुनाहों को
कौन आदमी जानता है?
और अपने दिल के हाल को
कौन तमाम पहचानता है?
पाक मुझे कर ऐ रब्ब!
पिन्हां गुनाहों से;
जान बूझ के हुये जो कुसूर
मुझ से तू दूर कर दे
गुनाह मुझ आजिज़ पर
न गालिब होने दे
तब मैं बे-ऐब हो जाऊंगा,
छूटूंगा खता से।
और मुंह की बातें भी,
और मेरे दिल के ख्याल,
तेरे हुजूर में हों मकबूल,
और पाक हो मेरी चाल।
मसीह की खातिर से,
जो अपने बन्दों का,
वकील बर-हक्क है, मुझे तू
कबूल कर, ऐ खुदा
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Apane gunaahon ko
kaun aadamee jaanata hai?
aur apane dil ke haal ko
kaun tamaam pahachaanata hai?
Paak mujhe kar ai rabb!
pinhaan gunaahon se;
jaan boojh ke huye jo kusoor
mujh se too door kar de
Gunaah mujh aajiz par
na gaalib hone de
tab main be-aib ho jaoonga,
chhootoonga khata se.
Aur munh kee baaten bhee,
aur mere dil ke khyaal,
tere hujoor mein hon makabool,
aur paak ho meree chaal.
Maseih kee khaatir se,
jo apane bandon ka,
vakeel bar-hakk hai, mujhe too
kabool kar, ai Khuda
🌟 "अपने गुनाहों को कौन आदमी जानता है?" — आत्मा की पुकार
🎶 गीत की आत्मा:
"अपने गुनाहों को कौन आदमी जानता है?"
यह भजन एक अत्यंत विनम्र प्रश्न से शुरू होता है —
एक ऐसा प्रश्न जो मानव की असहायता और अपने पापों की अदृश्यता को उजागर करता है।
सच्चाई यही है कि मनुष्य अपने गुनाहों की गहराई को पूरी तरह कभी नहीं जान सकता।
बाइबल भी यही कहती है:
"मनुष्य का हृदय सबसे अधिक धोखा देने वाला और अत्यन्त दुष्ट होता है; कौन उसे जान सकता है?" (यिर्मयाह 17:9)
🌿 पवित्रता की प्रार्थना:
"पाक मुझे कर ऐ रब्ब! पिन्हां गुनाहों से..."
यह एक सुंदर और दीन प्रार्थना है —
✓ छुपे हुए, अनजाने पापों से भी शुद्ध होने की भीख।
✓ एक ऐसी पवित्रता की खोज, जो केवल ईश्वर के अनुग्रह से संभव है।
भजन संहिता 19:12 में भी दाऊद यही प्रार्थना करता है:
"छुपे हुए दोषों से भी तू मुझे निर्दोष ठहरा।"
🛡️ जानबूझकर किए गए पापों से मुक्ति:
"जान बूझ के हुये जो कुसूर मुझ से तू दूर कर दे..."
यह गीत सिखाता है कि हम सिर्फ भूलों के लिए ही नहीं, बल्कि जानबूझ कर किए गए पापों के लिए भी ईश्वर से क्षमा मांगें।
✓ यह एक गंभीर चेतावनी भी है —
कि जानबूझ कर किया गया पाप आत्मा को कठोर बना सकता है।
✓ इसीलिए गीतकार मसीह की दया और परमेश्वर की कृपा के लिए पुकारता है।
✨ पाप पर विजय की याचना:
"गुनाह मुझ आजिज़ पर न गालिब होने दे..."
यह एक ऐसी प्रार्थना है जो हर ईमानदार विश्वासी के दिल से निकलती है।
✓ हम अपनी ताकत से गुनाह पर विजय नहीं पा सकते।
✓ हमें पवित्र आत्मा की सामर्थ्य चाहिए।
बाइबल कहती है:
"गुनाह तुम पर प्रभुता न करेगा, क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं, अनुग्रह के अधीन हो।" (रोमियों 6:14)
🕊️ शब्दों और विचारों की शुद्धता:
"और मुंह की बातें भी, और मेरे दिल के ख्याल..."
भजनकार प्रभु से केवल बाहरी कार्यों की नहीं, बल्कि आंतरिक विचारों और शब्दों की भी पवित्रता चाहता है।
✓ क्योंकि जो दिल में है वही मुंह से निकलता है।
✓ और प्रभु हमारे मन के विचारों तक को जानता है।
"मेरे मुंह के वचन और मेरे मन के ध्यान तेरे सम्मुख स्वीकार्य हों।" (भजन संहिता 19:14)
✝️ मसीह के माध्यम से स्वीकृति की याचना:
"मसीह की खातिर से, जो अपने बन्दों का वकील है..."
यह भजन मसीह यीशु की मध्यस्थता को पहचानता है।
✓ वह हमारा वकील है, जो पिता के सामने हमारे लिए बोलता है।
✓ उसकी कुर्बानी और पुनरुत्थान हमें स्वीकार्य बनाते हैं।
बाइबल में लिखा है:
"यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारे लिये एक वकील है, अर्थात धर्मी यीशु मसीह।" (1 यूहन्ना 2:1)
🌿 अंतिम विचार:
"अपने गुनाहों को कौन आदमी जानता है?"
यह भजन हर सच्चे विश्वासी के जीवन का आईना है।
✓ हम अपने आप में कुछ नहीं हैं।
✓ हमारी शुद्धता, हमारी मुक्ति — सब मसीह में है।
✓ हमें अपने हर दिन के जीवन में, अपने शब्दों, विचारों और कार्यों में परमेश्वर की उपस्थिति और शुद्धता को मांगते रहना चाहिए।
"हे प्रभु, तू मेरी कमजोरियों पर दया कर,
मेरे अनजाने और जानबूझ कर किए गुनाहों को धो दे।
मसीह की खातिर मुझे अपने सम्मुख शुद्ध और स्वीकृत बना।" 🌸