सही संदर्भ में बाइबिल कैसे पढ़ें? | How to Read the Bible in the Right Context?

📙 सही संदर्भ में बाइबिल कैसे पढ़ें?
How to Read the Bible in the Right Context

सही संदर्भ में बाइबिल कैसे पढ़ें? | How to Read the Bible in the Right Context?






🌸 यह पोस्ट बहुत ही ख़ास है, और इस पोस्ट को शुरू करने से पहले, मैं आप से ये वायदा लेना चाहता हूँ की इस पोस्ट को आप तब पढ़े, जब आप फ्री हो और डेयरी पैन आपके पास हो।🌸


क्योकि ये पोस्ट आपको सिर्फ़ इनफार्मेशन ही नहीं देगी बल्कि आपके मसीही जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव भी लेकर आएगी और आप यक़ीन मानिए आपके मसीही जीवन में, इन अंतिम दिनों में, ये बदलाव आपके लिये बहुत ही ज़रूरी है।


क्यों ज़रूरी है - आप पहले ये पढ़े - 


आमोस 8:11-12


परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महंगी करूंगा; उस में तो अन्न की भूख और पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी।


और लोग यहोवा के वचन की खोज में समुद्र से समुद्र तक  और उत्तर से पूरब तक मारे मारे फिरेंगे, परन्तु उसको पाएंगे॥


पढ़ा आपने क्या लिखा है? एसे दिन भी आने वाले है जब परमेश्वर के वचन को लोग खोजेंगे पर उनको मिलेगा नहीं


ना तो हम जैसा कोई आपको वचन बताने वाला मिलेगा क्योकि या तो हमे मार दिया जाएगा या फिर बाइबिल प्रीचिंग ऑनलाइन और ऑफ़लाइन करना भी बैन कर दिया जाएगा, और ना ही आपको बाइबिल आपके घरों में रखने दिया जाएगा। और ना ही बाइबिल आप कही किसी स्टोर से या ऑनलाइन ख़रीद पाओगे।


ऐसे दिन आने से पहले आज आप ये पोस्ट ध्यान से पढ़ लो, इससे पहले की बहुत देर हो जाए 


"इस  पोस्ट में हम जानेगे की बाइबिल को कैसे पढ़ना चाहिए? कैसे इसके context को समझे 

और कैसे बाइबिल की बातो और वचनों को याद रख पाये?-


साथ ही साथ हम ये भी देखेंगे कि जयदातर लोग बाइबिल पढ़ते समय गाइडेंस की कमी के कारण क्या क्या ग़लतिया करते है? जिससे उनके लिए, उनके मसीही जीवन में परमेश्वर के वचनों का वो अर्थ का अनर्थ कर देते है और परमेश्वर से दूर हो जाते है।


और एक अनैतिक अपवित्र धार्मिक जीवन जीने लग जाते है इस बात से अनजान की वो अंत में सब कुछ खो देंगे और नर्क की आग में जा पड़ेंगे। 


मरकुस 7:6 उस ने उन से कहा; कि यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्ववाणी की; जैसा लिखा है; कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।


मरकुस 7:9 और उस ने उन से कहा; तुम अपनी रीतियों को मानने के लिये परमेश्वर आज्ञा कैसी अच्छी तरह टाल देते हो!


इसलिए जब हम बाइबिल को उसके सही कॉण्टेक्स्ट में उसकी आज्ञा में चलने की बजाय अपने हिसाब की मसीहत गड़ लेते है तो परमेश्वर से दूर हो जाते है। परमेश्वर के क़रीब रहने के लिए ज़रूरी है, उसके वचनों के आज्ञाकारिता में चलना। 



 🙏तो चलिए एक छोटी सी प्रार्थना के साथ पोस्ट को शुरू करते है 🙏


"हे परमेश्वर, हमे तेरा वचन समझने की बुद्धि और आज्ञाकारिता दे।



सबसे पहले हम देखते है कि नये नये विश्वासी बाइबिल पढ़ते समय क्या क्या गलती करते है, अगर आपने भी इनमें से कोई गलती की थी या करते है, तो हेम कमेंट में ज़रूर से बताना।


  • बिना संदर्भ (context) के पढ़ना- 
    (ये तो most common गलती है, जो लगभग सारे ही विश्वासी करते है अपने शुरू के दिनों में)

  • लोग एक वचन या अध्याय उठाकर उसका अर्थ निकाल लेते हैं- बिना यह जाने कि वह किससे, कब और क्यों कहा गया था

  • जैसे: “माँगोगे तो तुम्हें दिया जाएगा - अब इसका मतलब ये क़तई भी नहीं है कि “जो तुम चाहे माँगो , वह तुझे मिलेगा" — लेकिन यह विश्वास, परमेश्वर की इच्छा और आज्ञा पालन के संदर्भ (context) में है।


  • केवल व्यक्तिगत अर्थ लगाना personal मीनिंग निकालना
  • कई बार लोग हर वचन को अपने ऊपर "जबरदस्ती" लागू करते हैं या मनचाहा अर्थ निकालते हैं।
    पहले यह समझें कि वचन का मूल अर्थ क्या है, फिर परमेश्वर से पूछें कि वह आपके जीवन में कैसे लागू होता है।




  • पुराने और नए नियम को गड़बड़ करना- ऐसा अक्सर मसीहों में देखा जाता है कि वे पुराने नियम की भी प्रैक्टिस शुरू कर देते है और नये नियम की भी - 

    कुछ लोग पुराने नियम के कानूनों (जैसे बलिदान, भोजन के नियम) को आज के मसीही जीवन में लागू करने की कोशिश करते हैं।
    लेकिन यीशु मसीह में पुराना नियम पूरा हुआ, और अब हम नए नियम (new covenant) में हैं।

    पर इसका मतलब ये नहीं है कि पुराना बेकार है और नया ही सब कुछ है -

    येशु ने ख़ुद भी कहा था कि पुरानी दख़रस को नयी के साथ मिक्स मत करो दोनों को अलग अलग पात्र में रखो



  • सिर्फ अपने पसंदीदा वचनों पर ध्यान देना
  • कुछ लोग सिर्फ "प्रेरणादायक" वचन पढ़ते हैं — आशीष वाले , सफलता वाले , आराम वाले — लेकिन पाप, पश्चाताप, त्याग, आज्ञा पालन को नज़रअंदाज़ करते हैं। 

जबकि पूरा बाइबिल परमेश्वर का वचन है, सिर्फ आसान हिस्से नहीं।"हर एक पवित्रशास्त्र लाभकारी है..." (2 तीमुथियुस 3:16)


  •  बाइबिल को 'तुरंत हल' Instent Solution की किताब समझना
  • कुछ लोग सोचते हैं कि जैसे ही वो बाइबिल पढ़ेंगे, तुरंत हर समस्या का हल मिल जाएगा।
    जब ऐसा नहीं होता, तो वे निराश हो जाते हैं।
    बाइबिल पढ़ना एक spiritual यात्रा है, इसके लिए समय, प्रार्थना, धीरज और पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन की ज़रूरत है।


  • अनुवाद या भाषा को लेकर कंफ्यूज होना
  • अलग-अलग वर्शन (जैसे KJV, NIV, Hindi BSI आदि) में कुछ शब्द अलग हो जाते है तो शुरू में ये शब्द कठिन लगते है और कन्फ़्यूशन हो जाती है।

  • बिना प्रार्थना के पढ़ना
  • बाइबिल सिर्फ जानकारी की किताब नहीं, यह आत्मिक जीवन की रोटी है।
    बिना परमेश्वर की सहायता के इसे पढ़ना सिर्फ “ज्ञान” बन सकता है, “बुद्धि” नहीं।
    हर बार बाइबिल पढ़ने से पहले, प्रार्थना करें🙏— "हे पवित्र आत्मा, मुझे अपना वचन समझा।"


  • बाइबिल को कही से भी खोल के वचन पढ़ना - 
  • अक्सर लोग अकड़बक्ड बम्बे बो वाले खेल की तरह, अचानक से उँगली डाल के वचन खोल के पढ़ते है और कहते आज परमेश्वर ने मुझे ये वचन दिया।- ये तारीक बिलकुल ग़लत है। - बाइबिल के वचन कोई टेरोकार्ड नहीं है कि तोता कोई भी एक कार्ड उठायेगा और आपके लिए भविष्यवाणी करेगा

 

👉 ऐसे ही कई सारी छोटी बड़ी ग़लतिया लोग बाइबिल को पढ़ते समय करते है, यहाँ तक की मैंने कई पास्टर को भी ऐसा करते हुए देखा है -





तो आज की पोस्ट में, मैं आपको बाइबिल सही से पढ़ने के लिए कुछ टिप्स देने वाला हूँ, जो आप को एक सही दिशा और कॉण्टेक्स्ट में बाइबिल पढ़ने में हेल्प करेंगी ।


  • 👉हमेशा याद रखना सही context में पढ़ा गया परमेश्वर का वचन आपको बंधनों से आज़ाद करता है और पवित्र आत्मा को खुश करता है, जबकि ग़लत दिशा में पढ़ा गया वचन आपको भटका देता है और पवित्र आत्मा को दुखी करता है।

 

 इफिसियों 4:30 

और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।



बाइबिल को सही तरीक़े से पढ़ने के लिए सबसे पहला और बहुत ही ज़रूरी कदम है - आपके पास बाइबिल होना - 

बाइबिल होने का मतलब है - फ़िसिकल बाइबिल होना - कागज वाली 📖 ,📱 मोबाइल वाली नहीं


जयदातर युवा 📱मोबाइल वाली बाइबिल से ही काम चलाते देखे गये है - आप तो उन में से नहीं हो ना? 




तो बाइबिल में कुल 66 किताबें है और ये दो भागो में है 


  • पुराना नियम जिसमे 39 किताबें है और यह यहूदी धर्म का भी ग्रंथ है। इसमें सृष्टि, नबी, इस्राएल का इतिहास, धार्मिक नियम, और येशु मसीह के आगमन की भविष्यवाणियाँ हैं।
  • नया नियम जिसमे 27 यह यीशु मसीह का जीवन, उसकी शिक्षाएँ, क्रूस पर बलिदान, पुनरुत्थान, और फिर प्रेरितों की सेवकाई को दर्शाता है। इसमें मसीही विश्वास की नींव है।और अंतिम दिनों की भविष्वणी और येशु के पुनः आगमन का वायदा ही है


बाइबिल के उद्देश्य है :-

  1. परमेश्वर को जानना
  2. पाप से उद्धार पाना
  3. यीशु मसीह में नया जीवन जीना
  4. अनंत जीवन की आशा पाना
  • 👉 ये तो थी एक बेसिक जानकारी,  अब देखते है बाइबिल को पढ़ने के सही और सरल तरीक़े क्या है? 



66 किताबों की बाइबिल को आप 4 steps में पढ़ना शुरू कर सकते है



Step-1:  यीशु को जानने से शुरुआत करेंसुसमाचार से 

अगर आप बाइबिल पढ़ना स्टार्ट कर रहे है तो सबसे पहले सुसमाचार से शुरू करे - और येशु को उसके स्वभाव को और उसकी साम्रथ और प्रतिज्ञा जानने से शुरू करे - 

पर्सनली I suggest आप स्टार्ट  करें: "यूहन्ना रचित सुसमाचार (John)” से 

  • "यूहन्ना रचित सुसमाचार : यीशु की पहचान, काम और उद्देश्य को गहराई से बताता है।
  • इसमें सीधे परमेश्वर का प्रेम, अनुग्रह और उद्धार समझ में आता है।

  • इसके बाद पढ़ें: मरकुस (Mark) मत्ती (Matthew) और लूका (Luke) –


Step - 2: शुरुवाती मसीही जीवन और शिक्षा को दिल लगाकर सीखें

इसके लिए आप पढ़ें: 

  • प्रेरितों के काम (Acts) को पढ़े 
  • कैसे चर्च की शुरुआत हुई?
    परमेश्वर का कार्य लोगों में कैसे फैलता गया?
    प्रेरितों ने किन संघर्षों का सामना किया?


Step - 3: मसीही जीवन के लिए मार्गदर्शन

  • फिर आप पत्रियाँ (Letters / Epistles) को पढ़े  और फिर प्रकाशित वाक्य को 


Step - 4: पुराने नियम को पढ़ना शुरू करे :

  •  उत्पति से मलकी की तक 





Tool -1 


📖 अब जब आपने बाइबिल पढ़ना शुरू कर दिया है तो आपको अपने मसीही जीवन में एक बात गाँठ बाँध लेनी है की आप बाइबिल को कभी कही से भी पढ़ना स्टार्ट नहीं करेंगे बल्कि ,जिस बुक को भी आप पढ़ना स्टार्ट करते है,


उसको पहले अध्याय से पढ़ना शुरू करे और एक बार में कम से कम 1 अध्याय पूरा पढ़े - वादा करे कभी भी किसी अध्याय को आधा नहीं छोड़ेंगे।जब भी बाइबिल पढ़ने बैठे तो कम से कम पूरा 1 चैप्टर फिनिश करे।एक से अधिक चैप्टर्स भी पढ़ सकते है, अपनी क्षमता के अनुसार पर कोई भी चैप्टर अधूरा ना छोड़े। 


और जब तक एक पुस्तक पूरी ना पढ़ ले तो किसी नई पुस्तक पर बीच में जम्प ना मारे -की आधी युहन्ना की किताब पढ़ ली फिर आधी लुका की नहीं ऐसा नहीं करना - एक बुक ले और उसको चैप्टरवाइज़ पूरा करे -


ex - आज अगर आप ने युहन्ना से 2 चैप्टर पढ़े है, तो नेक्स्ट दिन तीसरे चैप्टर से शुरू करे  


अब जब आप बाइबिल पढ़ते है तो जिस चैप्टर को आप पड़ते है  उसमे ये GMCCSPA वाला फार्मूला लगा कर ये स्वाल ख़ुद से पूछते चले 


1. 🙏 यह वचन GOD परमेश्वर के बारे में क्या बताता है?

2. 👤 यह वचन MAN मनुष्य के बारे में क्या कहता है?

3. ✝️ यह वचन CHRIST यीशु मसीह से कैसे जुड़ता है?

4. 📜 क्या इसमें कोई COMMOND आज्ञा है जिसका पालन करना चाहिए?

5. 🚫 क्या कोई SIN पाप है जिससे बचना चाहिए?

6. 🎁 क्या कोई PROMIOSE प्रतिज्ञा है जिसे पकड़ कर रखना चाहिए?

7. 🔄 मैं इसे अपने जीवन में कैसे APLY लागू कर सकता हूँ?


जब आप इस फार्मूले से हर चैप्टर में सवाल पूछते चलेंगे, तो आप बाइबिल पढ़ने का एक अनोखा अनुभव करोगे और आपकी आत्मिक तरक़्क़ी होती जायेगी। आप जीने का नया तरीक़ा सीखोगे और ख़ुद को प्रभु के क़रीब महसूस करोगे। - 

इसे याद रखने के लिए आप इसका ऐसा बुक मार्क डिज़ाइन कर के बनाकर अपनी बाइबिल में लगा ले, जिससे हमेसा ये सवाल आपकी आँखों से सामने रहेंगे और हर बार हर चैप्टर में ये सवाल आप पूछते हुए आगे बढ़ सकोगे -


GMCCSPA

 



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अपनी बाइबिल पढ़ते समय - कलर पेन्सिल्स का इतेमाल करे इसको अपने पास रखे

और बाइबिल के अलग अलग वचनों के लिए अलग अलग कलर सेट कर ले- जैसे

  • येशु के मुँह से निकले वचनों को रेड कलर से hightlight करे
  • परमेश्वर के वचनों को ऑरेंज कलर से
  • आशीष वचनों को ब्लू से
  • और भविष्वणी के वचनों को येलो से
  • आज्ञा के वचनों को ग्रीन से
  • या जो भी कलर आपको अछे लगे अपने हिसाब से आप ऐसे कर सकते
  • इससे आपको याद रखने में बहुत help मिलेगी।



Tool - 3

एक स्टडी बाइबिल को ज़रूर से साथ में रखे 

स्टडी बाइबिल पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हर वचन के साथ उसकी टीका-टिप्पणी (notes) देती है, जिससे हमें उस वचन का ऐतिहासिक, भाषाई और आत्मिक अर्थ समझने में मदद मिलती है। जब हम पुराने नियम की बातों को पढ़ते हैं, तो यह बाइबिल हमें यह भी समझाने में सहायता करती है कि उस समय की संस्कृति, परंपराएँ और घटनाएँ क्या थींजैसे "फलिसी कौन थे?" या "सब्बाथ का क्या महत्व था?"

इसके अलावा, स्टडी बाइबिल की एक खास विशेषता यह है कि वह हमें बाइबिल को बाइबिल से समझना सिखाती है। यानी, एक वचन को दूसरे संबंधित वचनों से जोड़कर समझाया जाता है, जिससे हमें संपूर्ण चित्र मिलता है।

स्टडी बाइबिल में कई बार थीम आधारित लेख, जीवन के लिए सीखें, और प्रार्थनाएं भी होती हैं, जो व्यक्तिगत अनुप्रयोग में मदद करती हैं। और अंत में, उसमें दिए गए मैप्स, चार्ट्स और टाइमलाइन बाइबिल को जीवंत और दर्शनीय बना देते हैंजिससे हम कल्पना के बजाय इतिहास और भूगोल के आधार पर समझ पाते हैं कि घटनाएँ कैसे घटित हुईं।

इसलिए, अगर आप वास्तव में बाइबिल को गहराई से समझना चाहते हैं, तो एक अच्छी स्टडी बाइबिल आपके लिए बहुत उपयोगी साथी सिद्ध होगी।

स्टडी बाइबिल आपको Amzon या Meesho पर मिल जाती है आप ऑर्डर कर के माँगा सकते है।

कुछ अच्छी स्टडी बाइबिल के लिंक में आपको डिस्क्रिप्शन में भी दे दूँगा आप वहाँ से भी मंगा सकते है 


Tool - 4

कुछ अच्छे और Genuine बाइबिल स्टडी वाले यूट्यूब चैनल्स भी आप सब्सक्राइब कर सकते है और उनकी वीडियो देख सकते है

पर ध्यान रहे सिर्फ़ उनकी पोस्ट देखे सीखे, जाँचे और परखे पर उनको अपना पापा पास्टर ना बना ले, अंधभक ना बने, क्योकि बहुत से बाइबिल शिक्षक भी ग़लत शिक्षा देते है और लोगो को भरमा लेते - तो सुनो सबकी लेकिन मानो सिर्फ़ उसकी जो बाइबिल में लिखा हुआ है - 

👉 ये 4 सबसे सिंपल और सरल टूल्स है जो आपकी बाइबिल स्टडी में बहुत हेल्प करेंगे 




अब देखते है बाइबिल को उसके C ontext में कैसे पढ़े और समझे - 

बाइबिल को सही context (संदर्भ) में समझना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि परमेश्वर का वचन तभी सही रूप में प्रकट होता है जब हम उसे उसके सही उद्देश्य, समय, और माहौल के साथ पढ़ें।


1. 🧭 "वचन के पहले और बाद का संदर्भ" देखें (Immediate Context):

कोई भी वचन अकेले में नहीं, बल्कि उसके आसपास वचनों, अध्याय और पुस्तक के संदर्भ में ही पढ़ें।
उदाहरण: फिलिप्पियों 4:13 ("मैं मसीह में सब कुछ कर सकता हूँ") का मतलब तब सही समझ में आता है जब हम पहले की आयतें भी पढ़ते हैंजहाँ पौलुस कमी, सताव, पिढ़ाओ और विश्वास में रहना सीखा रहा है।

इसका वचन का ये मतलब नहीं है कि जायज़ नाजय हाउम कुछ भी करे तो भी परमेश्वर हमे allowed करेगा। 


2. 🏛️ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ समझें: (Historical and Cultural Context)

यह जानना ज़रूरी है कि वह वचन किस युग में, किस देश में, और किन परिस्थितियों में लिखा गया।
जैसे: जब यीशु ने कहा "दूसरा गाल भी फेर दो" (मत्ती 5:39), तो वह यहूदी कानून, रोमी उत्पीड़न और बदले की प्रवृत्ति के संदर्भ में कहा गया। की अपने प्रेम से अपने बैरियो के मनो को जीत लो, 


3. 👤 लेखक और श्रोताओं को जानें:

यह समझें कि किसने लिखा, किसको लिखा, और क्यों लिखा।
उदाहरण: पौलुस के पत्र अक्सर चर्च की समस्याओं या सवालों के जवाब होते थे।


4. 📚 पूरा अध्याय और पुस्तक पढ़ें (Literary Context):

सिर्फ एक वचन नहीं, पूरा अध्याय या पुस्तक पढ़ने से सन्देश की पूरी तस्वीर सामने आती है। मैंने आपको पहले ही बताया 


5. 🔄 बाइबिल को बाइबिल से समझें (Scripture interprets Scripture):

बाइबिल में कोई विषय पहली बार नहीं आता, उसके अन्य हिस्सों में भी उसकी व्याख्या या उदाहरण मिलते हैं।
जैसे: "विश्वास से उद्धार" को समझने के लिए याकूब और रोमियों दोनों पत्रियाँ पढ़नी चाहिए।

बाइबिल की बातो की पुष्टि बाइबिल की ही दूसरी किताबों में मिल जाती है - तो बाइबिल को बाइबिल से ही समझें


6. मुख्य विषय और मसीह-केंद्रित दृष्टिकोण रखें:

हर वचन, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से, direct या indirect परमेश्वर की योजना और यीशु मसीह की ओर इशारा करता है।
बाइबिल का केंद्र मसीह हैइसलिए कोई भी व्याख्या उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। 


7. 🙏 पवित्र आत्मा से मार्गदर्शन मांगें:

सिर्फ ज्ञान से नहीं, बल्कि प्रार्थना और आत्मिक संवेदनशीलता से वचन को समझना चाहिए।
यूहन्ना 16:13 कहता है कि 

पवित्र आत्मा तुम्हें सब सच्चाई में ले चलेगा।

तो बाइबिल पढ़े और पवित्र आत्मा को आपकी अगुवाई करने दे वो अपने आप ही आपको गवाही देता चलेंगा की वचन पवित्र और सामर्थी है - 

लेकिन याद रखें पवित्र आत्मा उनकी ही अगुवाई करता है जो वचन को सही context में पढ़ते या सुनते है।


गलत संदर्भ = गलत समझ = गलत विश्वास = गलत जीवन।

परन्तु, सही संदर्भ = गहरी समझ = सच्चा विश्वास = परिवर्तनकारी जीवन।




👉इन टिप्स को फॉलो कर के सिर्फ़ एक महीने प्रतिदिन आप बाइबिल पढ़ कर देखिए आप ख़ुद में परमर्श्व्र की नई समर्थ और आशीष महसूस करेंगे 


सबसे महत्वपूर्ण बात जो आपको याद रखनी है ।


बाइबिल पढ़ते समय ध्यान रखें, बाइबिल के हिसाब से बाइबिल को पढ़े, नाकी अपने हिसाब से बाइबिल पढ़े 


जब हम बाइबिल पढ़ते है तो पवित्र आत्मा हमे दोषी ठहराता है, 

हमारी ग़लतियों को उजागर करा है, 


  • हो सकता है बाइबिल पढ़ते समय आपकी बहुत सी मानियता Belives टूट जाये, आपके चर्च और पास्टर के ख़िलाफ़ वचन जा रहे हो, आपने जो कुछ भी कई सालो से चर्च में या पास्टर से सीखा हो वो सब ग़लत लगने लग जाये, 


  • ऐसे में आप क्या कर सकते है, आप अपनी पहले से सीखी बातो पर मन लगा सकते है बाइबिल को उसी सिक्षा के हिसाब से ढाल सकते है और पढ़ सकते है, और कुछ देर में आप बाइबिल को अपने हिसाब से ढाल लेंगे और आपको मज़ा आने लग जाएगा 


इसको कहते है अपने हिसाब से बाइबिल पढ़ना 


  • या फिर आप बाइबिल को बाइबिल के अकॉर्डिंग पढ़ना शुरू कर सकते और बाइबिल के हिसाब से ख़ुद को बदलने का निर्णय ले सकते - 


चुनाव आप का है क्योकि बाइबिल का पपरमेश्वर आपको चुनने की आज़ादी देता है आप जैसा चुनते हैं वैसा ही आपके साथ हो जाता है - 


  • आप सत्य को चुन सकते है और अपना क्रूस उठा कर उसके पीछे चल सकते है - 
  • या फिर आप झूठ से प्रेम कर सकते है और झूठी मान्यताओं के पीछे चल सकते है - 


2 थिस्सलुनीकियों 2:11- 12 

और इसी कारण परमेश्वर उन में एक भटका देने वाली सामर्थ को भेजेगा ताकि वे झूठ की प्रतीति करें। 

और जितने लोग सत्य की प्रतीति नहीं करते, वरन अधर्म से प्रसन्न होते हैं, सब दण्ड पाएं॥


उम्मीद है ये पोस्ट आपको समझ आयी होगी और आपको बहुत सी हेल्प मिली होगी।

अच्छी लगी तो इस पोस्ट को अपने सभी मसीही लोगो तक शेयर करे और उनका भी मार्गदर्शन करे 


इसके अलावा भी अगर बाइबिल स्टडी से झुड़े आपके कोई सवाल है तो आप हेम कमेंट में बताइए उस सवाल से जुड़ी एक पोस्ट हम आपके सवालो लिये बना देंगे 

तो चलिए मिलते हमारी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक के लिए

THANK YOU MAY GOD BLESS YOU 

STAY TUNED STAY BLESSED 


प्रकाशित वाक्य के दो गवाह — कौन हैं ये रहस्यमयी पात्र? 

 The Two Witnesses of Revelation 


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