“9-Year-Old Innocent Christian Girl Faces Horrific Religious Bullying in Pakistani School!”



“9-Year-Old Innocent Christian Girl Faces Horrific Religious Bullying in Pakistani School!”



ज़रा सोचिए... एक मासूम स्कूली बच्ची, जिसकी उम्र सिर्फ़ 9 साल है। सपने क्या होंगे उसके?

 पढ़-लिखकर अपने परिवार का सहारा बनना, अपने छोटे-छोटे सपनों को पूरा करना। लेकिन पाकिस्तान जैसे देश में, जहाँ क्रिश्चियंस सिर्फ़ 1.6% हैं, वहाँ ऐसी बच्चियों के सपने स्कूल की चारदीवारी में ही कुचल दिए जाते हैं।


हफ़्ते भर पहले की घटना है। पाकिस्तान के गुजरांवाला ज़िले में चौथी कक्षा की एक सरकारी स्कूल की क्रिश्चियन लड़की को, उसके classmates और टीचर्स तक ने धर्म के नाम पर परेशान किया।तुम मसीही होतुम्हें यहाँ पढ़ने का कोई हक़ नहींइस्लाम कबूल करो वरना…” ऐसे जलील करने वाले शब्द।


**मैरीयम हदायत** नाम की इस बच्ची ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उसके मुस्लिम सहपाठी उसका मज़ाक उड़ाते हैं और उस पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डालते हैं। मैरीयम ने कई बार इन घटनाओं की शिकायत शिक्षकों से की, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।


जब वह घर आकर रोते हुए अपनी दादी को यह सब बताती है , तो परिवार ने स्कूल स्टाफ से इस विषय में बात करने की कोशिश की। लेकिन इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, शिक्षक ने मैरीयम को ही डांट दिया और धमकी दी कि अगर उसने आगे ऐसी शिकायतें कीं तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा।


मैरीयम की दादी ने स्कूल प्रशासन की कड़ी आलोचना की। उनका कहना है कि कुछ शिक्षक पढ़ाई से ज़्यादा धार्मिक प्रचार में व्यस्त रहते हैं।


जानकारो और मुक़ामी निगरान के मुताबिक, पाकिस्तान के सरकारी स्कूलों में मसीही बच्चों को अकसर इसी तरह का भेदभाव झेलना पड़ता है। जैसे 


* गालियाँ और धार्मिक अपमान

* इस्लाम स्वीकार करने के लिए दबाव

* बाइबल को "भ्रष्ट किताब" बताना और 

* मसीही बच्चों को निन्दक घोषित करना


हम जमात में भी यह भेदभाव गहराई से दिखता है। कई बार मसीही छात्रों को साझा बर्तनों में खाने-पीने की अनुमति नहीं दी जाती। कुछ बच्चों से कहा जाता है कि अगर वे इज्जत चाहते हैं तो उन्हें इस्लाम अपनाना पड़ेगा।


मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था में यह समस्या जड़ से जुड़ी हुई है, क्योंकि वहाँ ज़्यादातर  विषयों में इस्लामी शिक्षाएँ गहराई से शामिल की जाती हैं और अल्पसंख्यक धर्मों के छात्रों को सही  संरक्षण नहीं मिलता।


इंटरनेशनल और लोकल  मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि स्कूलों में धर्म के आधार पर होने वाले इस भेदभाव को तुरंत रोका जाए। उनका ज़ोर है कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को ज्ञान और परस्पर सम्मान सिखाना होना चाहिए, कि अपमान और मजबूरी।



और सबसे डरावनी बातये कोई पहली घटना नहीं है। *Centre for Social Justice (CSJ)* की 2023 रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान में हर साल सैकड़ों क्रिश्चियन बच्चों के साथ discrimination और harassment होता है। 2019 से 2022 के बीच कम से कम **160 documented cases** ऐसे हैं जहाँ Christian बच्चों को स्कूल और कॉलेज में निशाना बनाया गया।


पर सवाल हैये सब कब तक चलेगा?



थोड़ा पीछे चलते हैं। 2020 में एक 14 साल की क्रिश्चियन लड़की *माइरा शहबाज़* का केस हुआ था। उसे स्कूल से घर लौटते वक़्त अगवा कर लिया गया, जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया और शादी करवाई गई। आज तक न्याय नहीं मिला।


*Open Doors* नाम की संस्था, जो हर साल “World Watch List” जारी करती है, उसमें पाकिस्तान **Top 7** देशों में आता है जहाँ क्रिश्चियंस के लिए जीना सबसे मुश्किल है। Imagine कीजिए, रोज़-रोज़ डर के साए में जीना।


पाकिस्तान अपने आपको कहता है — *“Land of the Pure.”* लेकिन सवाल है, किसके लिए Pure? मुसलमानों के लिए? बाकी सब तो वहाँ दूषित और अपवित्र मान लिए जाते हैं। अगर पाकिस्तान वाकई इतना पाक होता, तो वहाँ स्कूल में मासूम बच्चियों को ताने क्यों सुनने पड़ते?


पाकिस्तान का संविधान अल्पसंख्यकों को अधिकार देता है। आर्टिकल 20 साफ़ कहता है: *“Every citizen shall have the right to profess, practice and propagate his religion.”* लेकिन हकीकत में, किताब का कानून और ज़मीन की सच्चाई में जमीन-आसमान का फ़र्क है।



अब यहाँ क्रिश्चियंस के लिए सबसे ज़रूरी सवाल ये है कि  क्या ये सब देखकर चुप रहना चाहिए? बाइबिल क्या कहती है?


भजन संहिता 82:3-4 में लिखा है: 


कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन दरिद्र का विचार धर्म से करो। Defend the poor and fatherless: do justice to the afflicted and needy.


कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ॥ Deliver the poor and needy: rid them out of the hand of the wicked.


इस बच्ची की चीख़ को कौन सुनेगा? उसके आँसू कौन पोंछेगा? क्या पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट? क्या यूनाइटेड नेशंस? या हम, जो आज इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं?


पाकिस्तान में कई क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल् है, जहां इंटरनेशनल लेवल की पढ़ाई भी कराई जाती है, लेकिन वो इतने महँगे है कि आम ग़रीब जानता कि पहुँच से बाहर है, अगर ये मिशनरी स्कूल्स इन ग़रीब बच्चो के लिये कुछ भला कर दे तो इनको ऐसे पाकिस्तानी स्कूलों में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे, 


क्या फ़ायदा ऐसे मिशनरी स्कूलों का जो पाकिस्तान जैसे देशों के इन हालतों में भी ग़रीबो और कंगलों को शिक्षा जैसी मदद भी ना दे सके, 


मति 25 में येशु भेड़ो को बकरियों से अलग करेगा और जो भेड़ होंगी वो तो सुवर्ग जायेंगी पर जो बकरिया होंगी वो नर्क जाएगी 


मत्ती 25:44 - 46


तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल की? Then shall they also answer him, saying, Lord, when saw we thee an hungred, or athirst, or a stranger, or naked, or sick, or in prison, and did not minister unto thee?



तब वह उन्हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया। Then shall he answer them, saying, Verily I say unto you, Inasmuch as ye did it not to one of the least of these, ye did it not to me.


और यह अनन्त दण्ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे। And these shall go away into everlasting punishment: but the righteous into life eternal.



मैं आप से बहुत ईमानदारी से पूछता हूँजब कोई क्रिकेट मैच हार-जीत का मुद्दा होता है, हम घंटों डिबेट कर लेते हैं। लेकिन जब किसी मासूम क्रिश्चियन बच्ची के सपनों को रौंद दिया जाता है, तब हमारी चुप्पी क्यों? चार्ली कर पर हम बहुत बाते कर रहे है,  लेकिन इन लोगो पर चुप्पी क्यों?





हर क्रिस्टियंस भाई बहनों को चाहिए इन दबे कुचलो के लिए 


1. प्रार्थना करे : उस बच्ची और उसके परिवार के लिए।

2. आवाज़  उठाये : अपने सोशल मीडिया पर ऐसे issue के लिए पोस्ट करे,

3.(Awareness) शेयर करे  : दुनिया में ऐसे कई केस हो सकते हैं। हमें अपने लोगो को इन serious केस के लिये जागरूक करना चाहिए 



और याद रखोशैतान हमेशा बच्चों पर अटैक करता है। मूसा के समय फिरौन ने बच्चे मरवाए। यीशु के जन्म पर हेरोदेस ने बच्चों को मरवाया। और आज, दुनिया भर के कई स्कूलों में बच्चों को धर्म के नाम पर सताया जा रहा है।


लेकिन अंतिम विजय यीशु की ही होगी।





प्रकाशित वाक्य 2:10 में लिखा है: 


जो दु: तुझ को झेलने होंगे, उन से मत डर: क्योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ; प्राण देने तक विश्वासी रह; तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा। Fear none of those things which thou shalt suffer: behold, the devil shall cast some of you into prison, that ye may be tried; and ye shall have tribulation ten days: be thou faithful unto death, and I will give thee a crown of life.



दोस्तों, पाकिस्तान की उस मासूम क्रिश्चियन बच्ची की घटना कोई isolated news नहीं हैये हमारी आँखें खोलने वाली घंटी है।


अब आप पर हैक्या आप इस खबर को पढ़कर आगे स्क्रॉल कर देंगे, या आवाज़ उठाएँगे? और ज़्यादा से जायदा लोगो तक इस खबर को शेयर करेंगे, पाकिस्तान में भी और इंडिया में भी, 


कमेंट में लिखिए — “We Stand With Persecuted Christians.” ताकि दुनिया जाने कि हम चुप नहीं बैठेंगे।



Thank you…

May God bless you & your family. …..







Post a Comment

Previous Post Next Post

Rating