हम सब जानते हैं कि पिछले लगभग तीन सालों से इज़राइल-फ़िलिस्तीन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा।
गाज़ा आज एक कब्रिस्तान बन चुका है — चारों ओर सिर्फ़ मौत, खून और चीख़ें।
बच्चों की लाशें मलबे में दब रही हैं, माताएँ अंधेरे में अपने खोए हुए बेटों की तलाश कर रही हैं।
दुनिया भर के देश — यहाँ तक कि अमेरिका जैसे ताक़तवर राष्ट्र — शांति समझौते कराने की कोशिश कर चुके हैं।
लेकिन हर कोशिश नाकाम, हर पहल बेअसर।
ये आग बुझने के बजाय और भड़क रही है।
यहूदियों और मुसलमानों के बीच टकराव अब इतना गहरा हो गया है कि हालात सीधे-सीधे (WW3) की तरफ़ इशारा कर रहे हैं।
पूरा माहौल एक बारूद के ढेर जैसा है।
बस एक चिंगारी... और पूरी दुनिया इस लपट में जल उठेगी।
सोचिए... एक मिसाइल, एक गोली, या एक ग़लत फ़ैसला — और इंसानियत इतिहास के सबसे भयानक युद्ध की गवाही बनेगी।
ये लड़ाई सिर्फ़ गाज़ा की नहीं रहेगी... यह पूरे मध्य-पूर्व से उठकर यूरोप, अमेरिका और एशिया तक फैल जाएगी।
आज दुनिया उस मोड़ पर खड़ी है, जहाँ से वापसी नामुमकिन है।
हवा में बारूद की गंध है, आसमान में बम बरसने की आहट है... और धरती खुद आने वाले क़हर की चेतावनी दे रही है।
क्या हम इतिहास के सबसे खतरनाक पल में जी रहे हैं?
कोई तो ऐसा तरीक़ा होगा जिससे फ़िलिस्तीन और इसरेल के बीच शांति समझौता क़ायम हो जाये,
दुनिया भर के देश फ़िलिस्तीन को एक देश बनाने की कोशिश करा तो रहे है पर क्या वो कामयाब हो पायेंगे, क्या वाक़ई फ़िलिस्तीन एक इंडिपेंडेंट देश बन पायेगा - उम्मीद तो सब यही कर रहे है।
पर क्या होगा? अगर फिलिस्तीन में चल रहा संघर्ष सिर्फ़ ज़मीन या राजनीति का मामला न हो, बल्कि यह परमेश्वर की योजना का हिस्सा हो, जिसे कोई भी इंसानी शांति समझौता कभी हल कर ही नहीं सकता है ?
दुनिया की शुरुवात से ही दुनिया के राजा, नेता और देश इस भूमि पर दावा करते रहे हैं, लेकिन असली हल आज तक किसी के हाथ नहीं आया।
हो सकता है असली कारण यही हो कि समाधान इसलिए नहीं मिला क्योंकि फिलिस्तीन की यह लड़ाई इंसानों से सुलझने के लिए बनी ही नहीं है।
बाइबल कहती है कि इस भूमि पर जारी यह संघर्ष हज़ारों साल पहले ही बाइबिल की भविष्यवाणी में लिखा गया था। यह सिर्फ़ राजनीति या ज़मीन का झगड़ा नहीं है, बल्कि दुनिया के अंत की भविष्यवाणी से जुड़ा हुआ मामला है।
जिस ज़मीन को आज हम फिलिस्तीन कहते हैं, वह हमेशा से आत्मिक युद्ध का केंद्र रही है। पुराने समय में कनानी और पलिश्ती जैसी जातियाँ परमेश्वर की चुनी हुई प्रजा इस्राएल से टकराती रहती थीं।
क्या होगा अगर इस लगातार चल रही लड़ाई का असली कारण यही है कि फिलिस्तीन अंत समय की भविष्यवाणियों की चाबी है और इसका भविष्य पहले से ही पवित्र शास्त्रों में लिखा हुआ है?…
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि बाइबल में फिलिस्तीन की शुरुआत कहाँ से हुई, उसका प्राचीन भविष्यवाणियों से क्या रिश्ता है, और यह इलाका दुनिया की आख़िरी घटनाओं में कैसे बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
इस पोस्ट के अंत तक, आप अच्छे से जान जाएँगे कि फिलिस्तीन इज़रेल की ये लड़ाई केवल ज़मीन के लिए युद्ध नहीं है, बल्कि यह परमेश्वर की योजना को पूरा करने वाला युद्ध है—जिसे कोई राजनीतिक समझौता हल नहीं कर सकता। और कैसे ये जंग गोग मगोग के युध को जिसे कुछ लोग ww3 भी कहते है को लीड करेगी ?
फिलिस्तीन की बिब्लिकल शुरुआत को समझने के लिए हमें सबसे पहले कनान की ओर देखना होगा—वह पुरानी भूमि जिसे बाइबल में परमेश्वर ने अब्राहम और उसके बच्चों को विरासत के तौर पर देने का वादा किया था।
कनान की भूमि, जो आज के आधुनिक इज़राइल और फिलिस्तीन के क्षेत्रों से मिलती-जुलती है, इस्राएलियों के आने से पहले अलग-अलग जातियों और लोगों से बसी हुई थी।
इन लोगों को मिलाकर कनानी कहा जाता था। वे बाइबल की कहानी में बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उसी भूमि पर रहते थे जिसे परमेश्वर ने अब्राहम की संतान (उसकी पीढ़ियो) को देने का वादा किया था।
उत्पत्ति 10:15-19 में कनान के वंशजों की सूची दी गई है। कनान, हाम का बेटा था और हाम नूह के तीन बेटों में से एक था।
इन वंशजों में सिदोनियों(लेबनान), हित्तियों(आज का तुर्की), एमोरियों (Syria, Jordan, और Iraq), यबूसियों(अरब के लोग) और दूसरी अन्य जातियाँ शामिल थीं, जिन्होंने उस ज़मीन को बसाया था।
बाइबल बताती है कि ये लोग मूर्तिपूजा में बहुत बुरी तरह फँसे हुए थे - इस्लाम के आने के पहले तक ये सब भयंकर मूर्ति पूजक थे । वे झूठे देवताओं की पूजा करते थे और ऐसे धार्मिक रीति-रिवाज़ अपनाते थे जो परमेश्वर को नापसंद थे—जैसे बच्चों की बलि देना और प्रजनन से जुड़ी गलत प्रथाएँ।जैसे जनवरो इंसानों और demons की mix breading करना,
उत्पत्ति 15:16 में परमेश्वर अब्राहम से कहता है कि उसके वंशज आखिरकार कनान की भूमि पाएंगे, लेकिन अभी नहीं—क्योंकि कनानियों का पाप अभी अपनी चरम सीमा तक नहीं पहुँचा है।
उत्पत्ति 15:16 पर वे चौथी पीढ़ी में यहां फिर आएंगे: क्योंकि अब तक एमोरियों का अधर्म पूरा नहीं हुआ। But in the fourth generation they shall come hither again: for the iniquity of the Amorites is not yet full.
यह पद दिखाता है कि कनान की भूमि इस्राएल को देने का कारण सिर्फ़ अब्राहम से किया गया वादा नहीं था, बल्कि वहाँ के लोगों के पाप और बुराई पर परमेश्वर का न्याय भी था।
कनानी लोग, बाइबल में उन राष्ट्रों का प्रतीक हैं जो परमेश्वर की चुनी हुई प्रजा इस्राएल के खिलाफ खड़े होते हैं।
यहोशू की किताब में इस्राएलियों का कनान पर विजय पाना, परमेश्वर के वादे की पूर्ति और कनानियों पर उनके मूर्तिपूजा और भ्रष्टता का न्याय दोनों रूपों में दिखाया गया है।
लेकिन यह ज़मीन सिर्फ़ युद्ध का मैदान नहीं थी—यह वाचा की ज़मीन थी।
यहीं परमेश्वर की प्रजा उसकी आज्ञाओं का पालन करते हुए पवित्र जीवन बिताती और दूसरी जातियों के लिए ज्योति बनती थी ।
कनान की ज़मीन, जिसे आगे चलकर फिलिस्तीन कहा गया, उसी पल से भविष्यवाणी में खास हो गई जब इसे परमेश्वर दुवारा अब्राहम को वादा किया गया था।
पर यह कहानी इस्राएल द्वारा कनान को जीत लेने पर खत्म नहीं हुई ।
कनानी, पलिश्ती और बाकी प्राचीन लोग आगे भी लगातार संघर्ष का कारण बने—एक ऐसा संघर्ष जो हज़ारों साल तक चलता रहा।
अगला बड़ा समूह जिसने फिलिस्तीन के इतिहास को आकार दिया, वे थे पलिश्ती जाती के लोग , जिनके नाम से आज का शब्द “फिलिस्तीन” निकला है।
पलिश्ती समुद्र पार से आए लोग थे। माना जाता है कि वे क्रीत (भूमध्य सागर) और एजियन सागर) के क्षेत्रों से आए और 12वीं सदी ईसा पूर्व में कनान के तटीय इलाकों में बस गए।
उन्होंने पाँच बड़े नगर-राज्य बनाए—गाजा , अश्कलोन, अशदोद, एक्रोन और गथ (गोलियत का नगर) । इन्हें मिलाकर “फिलिस्तिया” कहा गया।
पलिश्ती बाइबल में इस्राएल के सबसे बड़े दुश्मनों में गिने जाते हैं। वे बार-बार इस्राएल से लड़ते थे। और इसरेल से नफ़रत करते थे- क्यों क्योकि ये पलिस्ती लोग शैतान और डेमोन्स की पूजा करते थे, जादूगरी करते थे और शैतान के कंट्रोल में रहते थे
पलिश्ती पहली बार उत्पत्ति 21:32 में अब्राहम के समय में मिलते हैं।
लेकिन उनका सबसे बड़ा रोल न्यायियों के समय और इस्राएल के शुरुआती राजाओं के समय सामने आता है।
सबसे प्रसिद्ध पलिश्ती था गोलियत—वह विशाल दानव जिसे छोटे दाऊद ने हराया। यह बाइबल की सबसे मशहूर घटनाओं में से एक है (1 शमूएल 17)।
दाऊद की गोलियत पर जीत सिर्फ़ एक युद्ध में जीत नहीं थी—यह एक आत्मिक जीत थी, जहाँ यहोवा परमेश्वर की शक्ति ने दुश्मन शैतान की ताक़त को हरा दिया।
पलिश्ती सिर्फ़ युद्ध के दुश्मन नहीं थे। वे बाइबल की कहानी में उन आत्मिक शक्तियों का प्रतीक भी हैं जो परमेश्वर की वाचा वाली प्रजा के खिलाफ खड़ी होती हैं।
वे Ishtar , ड्रैगन और बाल जैसे देवताओं की पूजा करते थे और कनान की ज़मीन में उनकी मौजूदगी, इस्राएल की यहोवा-उपासना की पवित्रता के लिए हमेशा ख़तरा बनी रही।
बाइबल में पलिश्ती को अक्सर इस्राएल के लिए काँटा बताया गया है। लेकिन साथ ही परमेश्वर ने कई बार इस्राएल को इनसे छुड़ाया जब वे उससे मदद माँगते थे—जैसा कि शिमशोन (न्यायियों 13–16) और दाऊद की कहानियों में दिखता है।
पलिश्तियों का असर उनके नाम से भी झलकता है। जब ईस्वी 135 में यहूदियों ने रोमी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया, तो रोमियों ने यहूदी पहचान मिटाने के लिए उस भूमि का नाम “पलैस्टिना” रख दिया—जो पलिश्तियों से लिया गया था।
यही नाम आगे चलकर “फिलिस्तीन” बन गया।
रोमियो ने यहूदियों पर भयानक अत्याचार किए, और यहूदियों को उनके घरों से भगा दिया, तब यहूदियों को छिप छिपकर विदेशों में रहना पड़ा - रोमियो ने इसरेल का नाम ही दुनिया के नक़्शे से मिटा दिया था
और फिर भले ही पलिश्ती लोग आगे चलकर इतिहास में जाति के रूप में खत्म हो गए, लेकिन उनका असर और इस्राएल के विरोध की गूँज इतिहास में बनी रही—यह गूँज आज तक यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच उसी ज़मीन पर दिखती है।
बाइबल के समय और आज के बीच फिलिस्तीन का इतिहास विदेशी साम्राज्यों के अधीनता से भरा हुआ है।
बाबुल साम्राज्य के बाद यह ज़मीन फ़ारसियों (आज का ईरान ), यूनानियों और रोमियों के हाथ में रही।
ईस्वी 637 में खलीफा उमर ने जब यरूशलेम जीत लिया और फिर फिलिस्तीन इस्लामी शासन के अधीन आ गया। कई सदियों तक यह भूमि इस्लामी ख़िलाफ़तों का हिस्सा रही। और ऐसे पलिस्ती जाती के ये लोग बन गये इस्लामिक मुसलमान
उसके बाद 1517 से लेकर 20वीं सदी की शुरुआत तक यह इलाका उस्मानी साम्राज्य के अधीन रहा।
उस्मानी दौर में यहाँ अरब, यहूदी, ईसाई और मुस्लिम आबादी एक साथ रहती थी, लेकिन आपसी तनाव अक्सर संघर्ष में बदल जाता था।
इसी समय आधुनिक फिलिस्तीनी पहचान की नींव पड़ी, जब यहाँ के अरब मुस्लिम निवासी मुख्य जनसंख्या बन गए। ये भूमि अरब के मुसलमानों से भर गई इस दौरान
19वीं सदी में Zionism का जन्म हुआ—एक आंदोलन जिसने फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक मातृभूमि माँगी। और फिर यही आने वाले बड़े संघर्ष की नींव बना, जब 1900 की शुरुआत में यहूदी बड़ी संख्या में यहाँ बसने लगे। इंगलैंड के लोगो की मदद से, क्योकि WW1 और WW2 में यहूदी इंग्लैंड की तरफ़ से लड़े थे और बदले में इंग्लैंड ने यहूदियों को उनके पुरखों की भूमि कनान में बसाने का वादा किया था
जैसे-जैसे यहूदी और अरबों के बीच टकराव बढ़ा, स्थिति और बिगड़ती गई।
1917 का (Balfour Declaration) जो ब्रिटिश सरकार ने जारी की, फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक राष्ट्रीय घर का समर्थन करती थी—और इससे संघर्ष और भड़क गया।
1948 में जब इस्राएल राज्य की स्थापना हुई, तो अरब देशों और स्थानीय अरब फिलिस्तीनियों ने इसका कड़ा विरोध किया—क्योंकि वे इसे अपनी ज़मीन मानते थे।
इससे कई युद्ध शुरू हुए—1948 का अरब-इस्राएल युद्ध, 1967 का 6 DAY WAR और आज तक जारी इस्राएल-फिलिस्तीन संघर्ष।
लेकिन राजनीति और ज़मीन के झगड़ों से बढ़कर, फिलिस्तीन की भूमि पर यह संघर्ष वास्तव में एक आत्मिक संघर्ष है—जिसकी भविष्यवाणी बाइबल में पहले ही की गई थी।
बाइबल फिलिस्तीन की भूमि के भविष्य के बारे में बहुत कुछ कहती है, खासकर यरूशलेम और उसकी भविष्यवाणी में भूमिका के बारे में।
फिलिस्तीन केवल नक्शे पर एक जगह नहीं है—यह एक ऐसी भूमि है जिसे परमेश्वर ने अपने मकसदों के लिए अलग किया हुआ है।
इस भूमि पर संघर्ष, विशेषकर यरूशलेम के लिए, बाइबल इसे अंत समय की योजना का केंद्र बताती है।
यरूशलेम के भविष्य से जुड़ी सबसे बड़ी भविष्यवाणी जकर्याह 12:2-3 में मिलती है, जहाँ परमेश्वर कहता है:
जकर्याह 12:2 देखो, मैं यरूशलेम को चारों ओर की सब जातियों के लिये लड़खड़ा देने के मद का कटोरा ठहरा दूंगा; और जब यरूशलेम घेर लिया जाएगा तब यहूदा की दशा भी ऐसी ही होगी। Behold, I will make Jerusalem a cup of trembling unto all the people round about, when they shall be in the siege both against Judah and against Jerusalem.जकर्याह 12:3 और उस समय पृथ्वी की सारी जातियां यरूशलेम के विरुद्ध इकट्ठी होंगी, तब मैं उसको इतना भारी पत्थर बनाऊंगा, कि जो उसको उठाएंगे वे बहुत ही घायल होंगे। And in that day will I make Jerusalem a burdensome stone for all people: all that burden themselves with it shall be cut in pieces, though all the people of the earth be gathered together against it.
आज की घटनाओं को देखते हुए यह भविष्यवाणी सच होती जा रही है।
यरूशलेम पर दावा, जिसे यहूदी और फिलिस्तीनी दोनों अपनी राजधानी मानते हैं (TWO SATATE SOLUTION आपने आजकल न्यूज़ में सुना होगा ), आज भी अंतरराष्ट्रीय तनाव का बड़ा कारण है।
बाइबल के अनुसार यह संघर्ष अंतिम दिनों में और बढ़ेगा, क्योंकि आखिरकार सब राष्ट्र यरूशलेम के खिलाफ इकट्ठे होंगे।
और इस समय 140 देश इसरेल के ख़िलाफ़ खड़े हो गये है , फ़िलिस्तीन को एक देश बनाने के लिए - राइट
लेकिन क्यों यरूशलेम क्यों ख़ास है?
क्योंकि बाइबल यरूशलेम को परमेश्वर द्वारा चुना गया नगर बताती है—वह जगह जहाँ उसने अपना नाम रखा।
यहीं राजा दाऊद ने अपना सिंहासन स्थापित किया और यहीं सुलैमान ने मंदिर बनाया—जो इस्राएल की उपासना का केंद्र था।
भविष्यवाणी कहती है कि यही नगर होगा जहाँ यीशु मसीह लौटकर राजा का राजा बनकर राज्य करेंगे (जकर्याह 14:4)।
और यही पर THE ANTICHRIST आकर 7 साल का दुनिया का अंतिम शाशन भी करेगा
फिलिस्तीन से जुड़ी एक और भविष्यवाणी योएल 3:2 में है, जहाँ परमेश्वर कहता है:
उस समय मैं सब जातियों को इकट्ठी कर के यहोशपात की तराई (यरूशलेम के पास Kidron Valley) में ले जाऊंगा, और वहां उनके साथ अपनी प्रजा अर्थात अपने निज भाग इस्राएल के विषय में जिसे उन्होंने अन्यजातियों में तितर-बितर कर के मेरे देश को बांट लिया है, उन से मुकद्दमा लडूंगा। I will also gather all nations, and will bring them down into the valley of Jehoshaphat, and will plead with them there for my people and for my heritage Israel, whom they have scattered among the nations, and parted my land.
यह भविष्यवाणी बताती है कि परमेश्वर उन राष्ट्रों पर न्याय करेगा जिन्होंने इस्राएल की भूमि बाँटने की कोशिश की थी और शैतान की पूजा करते थे —और इस भूमि में आज का फिलिस्तीन भी आता है।
आज के समय में यरूशलेम और इस्राएल की ज़मीन का बँटवारा शांति समझौते का बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कई लोग “TWO SATATE SOLUTION “ का समर्थन करते हैं, जिससे ज़मीन इस्राएल और फिलिस्तीन में बाँटी जाएगी।
लेकिन बाइबल कहती है—यह भूमि परमेश्वर की है और इसे बाँटने की कोशिश ईश्वरीय न्याय को बुलाएगी।दुनिया का न्याय
प्रकाशितवाक्य की किताब कहती है कि एक दिन सब राष्ट्र "आर्मगेद्दोन" की तराई में अंतिम युद्ध के लिए इकट्ठे होंगे गोग मगोग की जंग —जो आधुनिक फिलिस्तीन में है (प्रकाशितवाक्य 16:16)।
प्रकाशित वाक्य 16:16 और उन्होंने उन को उस जगह इकट्ठा किया, जो इब्रानी में हर-मगिदोन कहलाता है॥ And he gathered them together into a place called in the Hebrew tongue Armageddon.
बाइबल सीधे-सीधे आधुनिक फिलिस्तीनियों का ज़िक्र नहीं करती, लेकिन जिस भूमि में वे रहते हैं, उसके भविष्य और संघर्षों के बारे में साफ़ लिखती है।
इस्राएल और कनान या फिलिस्तीन की जातियों के बीच प्राचीन संघर्ष, आज यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच झगड़े का इशारा पहले ही दे चुके थे।
ये पुराने युद्ध केवल राजनीति के लिए नहीं थे, बल्कि यह परमेश्वर की प्रजा और उसकी वाचा के भविष्य के लिए आत्मिक लड़ाइयाँ थीं।
कई विद्वान मानते हैं कि आज का अरब-इस्राएली संघर्ष, अब्राहम के दो बेटों इसहाक और इश्माएल के बीच की पुरानी दुश्मनी का जारी रहना है। इश्माएल जो अब्राहम की दासी का बेटा था और इसहाक जो अब्राहम की पत्नी से था
इसहाक, जिसके द्वारा वाचा पूरी हुई, इस्राएल का पिता बना। इश्माएल, अरब जातियों का पिता बना।
उत्पत्ति 16:12 में इश्माएल को "जंगली मनुष्य" कहा गया है—उसका हाथ सबके खिलाफ होगा और सबका हाथ उसके खिलाफ होगा।
कुछ लोग इसे इसहाक और इश्माएल के वंशजों के बीच चल रहे संघर्ष की भविष्यवाणी मानते हैं। और आज ये हक़ीक़त भी है.
बाइबल एदोम का भी ज़िक्र करती है—जो एसाव (याकूब का भाई) के वंशज थे। एदोम को अक्सर इस्राएल के चारों ओर के अरब राष्ट्रों से जोड़ा जाता है।
ओबद्याह की किताब में एदोम के खिलाफ भविष्यवाणियाँ हैं क्योंकि उन्होंने इस्राएल का विरोध किया था। कुछ लोग इसे आज के अरब-इस्राएली संघर्ष से जोड़ते हैं।
देखो परमेश्वर ये चाहते थे कि ग़ैर इसरेली जाती, इसरेल के लोगो से धार्मिकता सीखे और मन फिरा कर यहोवा परमेश्वर की और आये, और शैतान के जाल से बाहर निकले, लेकिन ये जातीय इसका उल्टा की करती थी और इसरेल के परमेश्वर यहोवा का मज़ाक़ उड़ाती थी, शैतान की पूजा करती थी और जादू टोने में पड़ी रहती थी और इज़रायलियो को सताती और मारती थी
और इसलिए बाइबिल में परमेश्वर कहते है कि एक दिन मैं इन सब गुनाहो का पलटा लूँगा और तब ये सारी दुनिया जान जाएगी कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है, ये कनानी और एडोमी जाती के लोग जो आज के मुसलिम्स है ज़्यादातर अपने अपने अल्लाह और ईश्वरों को पुकारेगे पर कोई इनको इनकी सजा से बचा नहीं पाएगा.
पर फिर भी, लगातार संघर्ष के बीच बाइबल इस भूमि में शांति की झलक भी दिखाती है।
यशायाह 19:23-25 में लिखा है कि एक दिन मिस्र, अश्शूर (जिसमें आज का फिलिस्तीन और इस्राएल के हिस्से आते हैं) और इस्राएल आपस में मेल से रहेंगे।
“उस दिन मिस्र से अश्शूर तक एक राजमार्ग होगा। अश्शूरी मिस्र आएँगे और मिस्री अश्शूर जाएँगे। दोनों मिलकर उपासना करेंगे। उस दिन इस्राएल, मिस्र और अश्शूर तीसरे होंगे—धरती पर आशीर्वाद का कारण बनेंगे। सर्वशक्तिमान यहोवा उन्हें आशीर्वाद देगा और कहेगा—‘धन्य है मिस्र मेरी प्रजा, अश्शूर मेरी बनाई हुई और इस्राएल मेरी निज सम्पत्ति।’”
यह भविष्यवाणी उस दिन की ओर इशारा करती है जब इस्राएल और उसके आस-पास की जातियाँ, जिनमें फिलिस्तीनी भी शामिल हैं, शांति से रहेंगी—पर यह शांति किसी राजनीतिक समझौते से नहीं, बल्कि येशु मसीह की वापसी से आएगी।
बाइबल की भविष्यवाणी का केंद्र है मसीहा का वादा—वह जो शांति लाएगा और पृथ्वी पर परमेश्वर का राज्य स्थापित करेगा।
यह मसीहा यीशु मसीह हैं। येशु ने जब वो पहली बार पृथ्वी पर आए थे, तब पुराने नियम की बहुत-सी भविष्यवाणियाँ पूरी की थीं। और वे दोबारा लौटेंगे ताकि बाकी भविष्यवाणियाँ पूरी हों।
बाइबल साफ़ कहती है कि जब यीशु लौटेंगे तो वे यरूशलेम में अपना राज्य स्थापित करेंगे। जकर्याह 14:4 में नबी उस दिन का ज़िक्र करते हैं जब यीशु जैतून पर्वत पर खड़े होंगे, जो यरूशलेम के बाहर है। उस समय वे उन सब राष्ट्रों को हरा देंगे जो यरूशलेम के ख़िलाफ़ इकट्ठा होंगे।
यीशु मसीह की वापसी का मतलब होगा कि इंसानों के बनाए हुए राज्यों का अंत हो जाएगा और परमेश्वर का अनन्त राज्य शुरू होगा पहले 1000 साल का और फिर सदा सदा का । वहाँ धार्मिकता और शांति का राज होगा।
लेकिन सवाल है कि इसका मतलब फ़िलिस्तीनियों और उस ज़मीन पर रहने वाले दूसरे लोगों के लिए क्या होगा?
बाइबल बताती है कि जब मसीह लौटेंगे, तो वे सब राष्ट्रों का न्याय करेंगे। इसमें फ़िलिस्तीनी भी शामिल होंगे।
यशायाह 2:4 में नबी कहते हैं — “वह सब जातियों का न्याय करेगा और बहुत से देशों के झगड़े निपटाएगा। लोग अपनी तलवारों को पिघलाकर हल के फाल बनाएँगे और भालों को हंसियों में बदल देंगे। अब राष्ट्र-न राष्ट्र पर तलवार उठाएगा और न ही वे फिर कभी युद्ध करना सीखेंगे।”
यह भविष्य की शांति की एक झलक है। यह वादा है कि दुनिया में जो लड़ाई-झगड़ा आज हो रहा है, वह एक दिन ख़त्म हो जाएगा। लेकिन यह इंसानों की कोशिश से नहीं होगा, बल्कि परमेश्वर खुद हस्तक्षेप करेंगे।
बाइबल साफ़ करती है कि फ़िलिस्तीन की ज़मीन केवल एक भूगोल का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह परमेश्वर द्वारा उसकी योजनाओं के लिए चुनी गई ज़मीन है।
आज जो संघर्ष हम देख रहे हैं, वे प्राचीन भविष्यवाणियों का नतीजा हैं। ये सब परमेश्वर की योजना के अनुसार ही पूरे होंगे।
आख़िरकार बाइबल कहती है कि इस ज़मीन में शांति आएगी। लेकिन यह इंसानों के समझौते से नहीं होगी।
यह शांति मसीहा की वापसी से आएगी, जो सब लोगों — यहाँ तक कि फ़िलिस्तीनियों — के लिए भी न्याय, शांति और मेल-मिलाप लाएँगे। येशु के 1000 साल के राज्य में रैप्चर के बाद बचे लोग जो उस THE ANTICHRIST के काम में दुख उठायेंगे, और पछताप करेंगे, और मन फिरायेंगे और कहेंगे की येशु ही सच्चा परमेश्वर है, वो और 144000 इसरेली, इन सब के साथ येशु 1000 साल का राज्य करेगा, और आज के BORN AGAIN विश्वासी जो रैप्चर में उठा लिए जाएँगे वो इन लोगो पर येशु मसीही के साथ अगुवाही करेंगे, जैसे आज के सुवर्गदुत हम विश्वासियों की अगुवाही और रक्षा करते है,
वैसे ही मसीही लोग सुवर्गदुतों का सा शरीर पायेंगे और इन लोगो की येशु के 1000 साल के राज्य में अगुवाही करेंगे,
उसके बाद शैतान एंटीक्राइस्ट के युद्ध में बचे हुए ILLUMINATI के एलिट लोगो को वो जो आज अपने लिए SPECIAL बैंकर्स बना रहे है, उनको और कुछ और बचे हुए इन कनानी और ऐडोमी लोगो को भरमायेगा और फिर से येशु मसीही के ख़िलाफ़ युध के लिये इक्कठा करेगा, और फिर होगी दूसरी गोग मगोग की जंग, जिसमे शैतान को पकड़ कर नर्क में डाला जाएगा, और फिर ये धरती का येरुशलम स्वर्ग में उठा लिया जायेगा सदा सदा के लिए - अमीन
प्रकाशित वाक्य 20:7 और जब हजार वर्ष पूरे हो चुकेंगे; तो शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा। And when the thousand years are expired, Satan shall be loosed out of his prison,
प्रकाशित वाक्य 20:8 और उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी, अर्थात गोग और मगोग को जिन की गिनती समुद्र की बालू के बराबर होगी, भरमा कर लड़ाई के लिये इकट्ठे करने को निकलेगा। And shall go out to deceive the nations which are in the four quarters of the earth, Gog and Magog, to gather them together to battle: the number of whom is as the sand of the sea.
प्रकाशित वाक्य 20:9 और वे सारी पृथ्वी पर फैल जाएंगी; और पवित्र लोगों की छावनी और प्रिय नगर को घेर लेंगी: और आग स्वर्ग से उतर कर उन्हें भस्म करेगी। And they went up on the breadth of the earth, and compassed the camp of the saints about, and the beloved city: and fire came down from God out of heaven, and devoured them.
प्रकाशित वाक्य 20:10 और उन का भरमाने वाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में, जिस में वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा, और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे॥ And the devil that deceived them was cast into the lake of fire and brimstone, where the beast and the false prophet are, and shall be tormented day and night for ever and ever.
प्रकाशित वाक्य 21:1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। And I saw a new heaven and a new earth: for the first heaven and the first earth were passed away; and there was no more sea.
प्रकाशित वाक्य 21:2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो। And I John saw the holy city, new Jerusalem, coming down from God out of heaven, prepared as a bride adorned for her husband.
प्रकाशित वाक्य 21:3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। And I heard a great voice out of heaven saying, Behold, the tabernacle of God is with men, and he will dwell with them, and they shall be his people, and God himself shall be with them, and be their God.
प्रकाशित वाक्य 21:4 और वह उन की आंखोंसे सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। And God shall wipe away all tears from their eyes; and there shall be no more death, neither sorrow, nor crying, neither shall there be any more pain: for the former things are passed away.
प्रकाशित वाक्य 21:5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं। And he that sat upon the throne said, Behold, I make all things new. And he said unto me, Write: for these words are true and faithful.
THANK YOU MAY GOD BLESS YOU
