उनका क्या जिन्होने आज भी सुसमाचार नहीं सुना या सुसमाचार सुनने से पहले ही मर गये |
"What About Those Who Never Heard the Gospel or Died Before Hearing It?"
क्या जो लोग यीशु के बारे में नहीं जानते, वे स्वर्ग जा सकते हैं? - एक बाइबिल आधारित विश्लेषण
यह सवाल बहुत लोगों के मन में आता है: "उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने यीशु और सुसमाचार के बारे में कभी नहीं सुना?"
इस सवाल के उत्तर को समझने के लिए हम इसे चार मुख्य भागों में बाँट सकते हैं:
1. यीशु के आने से पहले के लोग कैसे उद्धार पाए?
पुराने नियम के समय में यीशु मसीह पृथ्वी पर नहीं आए थे, लेकिन फिर भी कई लोग परमेश्वर के साथ शांति में थे। जैसे कि अब्राहम, हनोक, नूह, और दाऊद।
इब्रानियों 11:5 में हनोक के बारे में लिखा है कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया और उसे मृत्यु का स्वाद नहीं चखना पड़ा।
रोमियों 4:3 कहता है, "अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिए धार्मिकता गिना गया।"
इन सबका उद्धार कैसे हुआ? जवाब है — "विश्वास के द्वारा।" उन्होंने उस प्रकाश (Revelation) पर विश्वास किया जो उन्हें मिला था। उनके पापों की सज़ा यीशु के बलिदान से चुकाई गई, भले ही वह बलिदान उनके समय में नहीं हुआ था। इसे retroactive redemption कहा जाता है।
यीशु के मृत्यु और पुनरुत्थान के बाद, वह उन आत्माओं को स्वर्ग में ले गए जो पहले "Paradise" में प्रतीक्षा कर रहे थे (लूका 16 में लाज़र और धनी व्यक्ति की कहानी)।
2. दूसरे धर्मों के लोग जो सच्चे परमेश्वर पर विश्वास करते हैं
बाइबल यह स्पष्ट करती है कि परमेश्वर ने अपने लोगों — इस्राएलियों — को चुना ताकि वह संसार को सच्चे परमेश्वर का ज्ञान दें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्य धर्मों के लोगों को अवसर नहीं मिला।
उदाहरण:
राहाब (यरीहो की स्त्री) — यशायाह की योजना में शामिल हुई।
यित्रो (मूसा का ससुर) — एक अन्यजाति लेकिन परमेश्वर को जाना।
नीनवे के लोग — यूना के प्रचार पर विश्वास किया और उद्धार पाया।
रूत (मोआबी स्त्री) — मसीह के वंश में शामिल हुई।
इन सब का उद्धार हुआ क्योंकि उन्होंने उस परमेश्वर पर विश्वास किया जो सृष्टि का रचियता है।
गलातियों 3:7 कहता है: "जो विश्वास के हैं, वे अब्राहम की संतान हैं।"
3. क्या नास्तिक लोग अच्छे काम करके स्वर्ग जा सकते हैं?
बाइबल बहुत स्पष्ट है: कोई भी मनुष्य अपने अच्छे कार्यों से उद्धार नहीं पा सकता।
रोमियों 3:10, 23 – "कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं... सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।"
इफिसियों 2:8-9 – "क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है... और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।"
यानि कि उद्धार केवल और केवल विश्वास और अनुग्रह से है — भले कार्य अच्छे हैं, पर वे पाप का समाधान नहीं कर सकते।
4. उनका क्या जो कभी यीशु या सुसमाचार के बारे में नहीं सुन पाए?
बाइबल कहती है कि परमेश्वर ने हर इंसान को सृष्टि और अंतरात्मा (Conscience) के माध्यम से खुद को प्रकट किया है।
रोमियों 1:20 – "उसकी अनदेखी बातें... जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आती हैं... इसलिए वे निरुत्तर हैं।"
रोमियों 2:14-16 – अन्यजातियों के हृदयों में भी व्यवस्था की बाते लिखी हैं। उनका विवेक उनके साथ गवाही देता है।
इसका अर्थ यह है कि कोई भी मनुष्य पूरी तरह निर्दोष नहीं है। यदि किसी ने सुसमाचार नहीं सुना, तो भी वह उस प्रकाश के लिए ज़िम्मेदार है जो उसे मिला। और परमेश्वर निष्पक्ष न्याय करेगा।
रोमियों 2:12 – जिन्होंने व्यवस्था के बिना पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नाश होंगे।
DAY OF JUDGMENT में उनके कार्यों और उनकी अंतरात्मा की गवाही के अनुसार उनका न्याय होगा।
निष्कर्ष:
पुराने समय के लोग विश्वास द्वारा उद्धार पाए।
अन्य धर्मों के लोग भी यदि सच्चे परमेश्वर पर विश्वास करें, तो परमेश्वर उन्हें धर्मी ठहरा सकता है।
अच्छे काम पर्याप्त नहीं हैं, उद्धार केवल यीशु मसीह के बलिदान के माध्यम से ही संभव है।
जिन लोगों ने यीशु का नाम नहीं सुना, उनका भी न्याय उन्हें प्राप्त प्रकाश और उनके विवेक के अनुसार होगा।
भजन संहिता 50:6 – "आकाश उसकी धार्मिकता को प्रकट करें, क्योंकि परमेश्वर आप ही न्यायी हैं।"
अंततः, निर्णय परमेश्वर का है। वह न्यायी, धर्मी और निष्पक्ष है। वह किसी के साथ अन्याय नहीं करता।
व्यवस्थाविवरण 32:4 – "वह चट्टान है, उसका काम सिद्ध है... वह धर्मी और सीधा है।"
हमें यीशु के सुसमाचार को फैलाना है, लेकिन हर व्यक्ति के अंतिम भविष्य का निर्णय परमेश्वर के हाथ में है।