अपना पाक़ रूह ख़ुदावन्दा
Apna paq ruh Khudawanda Lyrics
Lyrics In Hindi
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अपना पाक़ रूह ख़ुदावन्दा
अपने चौपानों पर बहा
और नियामत से तू उन्हें भर
सदाक़त से मुलब्बस कर
महारत दे नविश्तों में
कि हमें पाक़ नसीहत दें
तू उन्हें पहले दे गिज़ा
ख़ुद खाकर हमें दे खिला
प्यार इल्म और हिम्मत ऊपर से
ज़ोर और सरगरमी उनको दे
ता तेरे झुंड के निगहबान
चराएं भेड़ों को हर आन
वह ढूंढ़े खोये हुओं को
तसल्ली दें बीमारों को
बखेड़ों में हों सलाहकार
हर वक्त हर तरह वफ़ादार
जब हुआ उनका काम तमाम
वह पाएं तेरे पास आराम
आराम जो तेरी ख़िदमत है
काम जिसका ख़ास्स उल्फ़त है
Lyrics In English
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Apna paq ruh Khudawanda
apane chaupaanon par baha
aur niyaamat se too unhen bhar
sadaaqat se mulabbas kar
Mahaarat de navishton mein
ki hamen paaq naseehat den
too unhen pahale de giza
khud khaakar hamen de khila
Pyaar ilm aur himmat oopar se
zor aur saragaramee unako de
ta tere jhund ke nigahabaan
charaen bhedon ko har aan
Voh dhoondhe khoye huon ko
tasallee den beemaaron ko
bakhedon mein hon salaahakaar
har vakt har tarah vafaadaar
Jab hua unaka kaam tamaam
vah paen tere paas aaraam
aaraam jo teree khidamat hai
kaam jisaka khaass ulfat hai
🌟 अपना पाक़ रूह ख़ुदावन्दा | आत्मिक जीवन के चरवाहों के लिए प्रार्थना भजन
✨ परिचय
"अपना पाक़ रूह ख़ुदावन्दा" एक आत्मिक और प्रार्थनामय भजन है जो प्रभु से निवेदन करता है कि वह अपने चरवाहों (चौपानों/धर्मगुरुओं) को अपने पवित्र आत्मा से भर दे। यह गीत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लिखा गया है जो प्रभु के झुंड (विश्वासियों) की देखभाल करते हैं। यह भजन एक सुंदर निवेदन है कि प्रभु अपने सेवकों को आत्मिक शक्ति, बुद्धि, और प्रेम से लैस करे ताकि वे ईमानदारी से उसकी भेड़ों (विश्वासियों) को चराएं।
🎵 गीत के बोल | Lyrics in Hindi
अपना पाक़ रूह ख़ुदावन्दा
अपने चौपानों पर बहा
और नियामत से तू उन्हें भर
सदाक़त से मुलब्बस कर
महारत दे नविश्तों में
कि हमें पाक़ नसीहत दें
तू उन्हें पहले दे गिज़ा
ख़ुद खाकर हमें दे खिला
प्यार इल्म और हिम्मत ऊपर से
ज़ोर और सरगरमी उनको दे
ता तेरे झुंड के निगहबान
चराएं भेड़ों को हर आन
वह ढूंढ़े खोये हुओं को
तसल्ली दें बीमारों को
बखेड़ों में हों सलाहकार
हर वक्त हर तरह वफ़ादार
जब हुआ उनका काम तमाम
वह पाएं तेरे पास आराम
आराम जो तेरी ख़िदमत है
काम जिसका ख़ास उल्फ़त है
🌿 गीत की आत्मिक व्याख्या और संदेश
1. पवित्र आत्मा की ज़रूरत
गीत की शुरुआत प्रभु से यह मांगते हुए होती है कि वह अपने चरवाहों पर अपना पाक (पवित्र) रूह उंडेले।
👉 "अपना पाक़ रूह ख़ुदावन्दा अपने चौपानों पर बहा"
यह दिखाता है कि हर आत्मिक अगुवे के लिए सबसे पहली ज़रूरत पवित्र आत्मा है।
2. शिक्षा और आत्मिक खुराक का निवेदन
👉 "महारत दे नविश्तों में कि हमें पाक़ नसीहत दें"
चरवाहों को परमेश्वर की वाणी समझने और सही शिक्षा देने की योग्यता की प्रार्थना की गई है।
👉 "तू उन्हें पहले दे गिज़ा, ख़ुद खाकर हमें दे खिला"
इसका अर्थ है कि जो प्रभु की सेवा करते हैं, पहले उन्हें खुद आत्मिक रूप से भरना चाहिए, ताकि वे दूसरों को सच्ची आत्मिक खुराक दे सकें।
3. आत्मिक गुणों की मांग
👉 "प्यार, इल्म और हिम्मत ऊपर से, ज़ोर और सरगरमी उनको दे"
चरवाहों को स्वर्ग से प्रेम, ज्ञान, साहस, और जोश की ज़रूरत है ताकि वे faithfully (ईमानदारी से) झुंड की देखभाल करें।
4. सेवा की जिम्मेदारी
👉 "वह ढूंढ़े खोये हुओं को, तसल्ली दें बीमारों को"
चरवाहों का काम खोए हुए लोगों को वापस लाना और दुखियों को सांत्वना देना है। वे झगड़ों में सलाहकार और हर हाल में वफादार बने रहें — यह एक सच्चे सेवक का गुण है।
5. आख़िरी विश्राम
👉 "जब हुआ उनका काम तमाम, वह पाएं तेरे पास आराम"
जब जीवन की सेवा पूरी हो जाए, तो वे प्रभु के पास विश्राम पाएं — यही अंतिम इनाम है: प्रभु के पास अनन्त शांति।
💡 मुख्य संदेश
प्रभु के सेवक खुद आत्मिक रूप से मजबूत रहें तभी वे दूसरों को सही आत्मिक खुराक दे सकते हैं।
एक चरवाहे की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है खोए हुओं को खोजना, बीमारों को सांत्वना देना और विश्वासियों का सही मार्गदर्शन करना।
सच्चे सेवकों का इनाम स्वर्ग में है — प्रभु के साथ विश्राम।